निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर ।
भाव पक्ष- इस पद में मीरा ने कृष्ण के भक्तों पर कृपा दृष्टि रखने वाले रुप का वर्णन किया है। वे कहती हैं कि हे हरि! जिस प्रकार आपने अपने भक्तजनों की पीड़ा हरी है, मेरी भी पीड़ा उसी प्रकार दूर करो। जिस प्रकार द्रोपदी का चीर बढ़ाकर, प्रह्लाद के लिए नरसिंह रुप धारण कर आपने रक्षा की, उसी प्रकार मेरी भी रक्षा करो। इसकी भाषा ब्रज मिश्रित राजस्थानी है। ध्वनि का बारंबार प्रयोग हुआ है इसीलिये इसमें श्लेष अलंकार है|
कला पक्ष- राजस्थानी, गुजराती व ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है तथा भाषा अत्यंत सहज व सुबोध है, शब्द चयन भावानुकूल है। पद में माधुर्य भाव है, भाषा में प्रवाहमयता और सरसता का गुण विद्यमान है। दैव्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। दृष्टांत अलंकार का प्रयोग किया गया है।